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वाराणसी में आयोजित काशी-तमिल संगमम् के समापन समारोह में गृहमंत्री अमित शाह ने एक भारत-श्रेष्ठ भारत का दिया संदेश

वाराणसी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद एक समय ऐसा आया, जब देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने का प्रयास किया गया। समय आ गया है एक भारत-श्रेष्ठ भारत की रचना करने का और ऐसा भारत की सांस्कृतिक एकता से ही संभव है। उन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत को करीब लाने के लिए एक माह तक चले काशी-तमिल संगमम् के समापन समारोह में यह बात कही। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक माह में तमिलनाडु से अलग-अलग समूहों में आकर लोगों ने न केवल विश्व की दो प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति को जाना, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की कल्पना को मूर्त रूप होते हुए भी देखा है।

मोदी ने काशी-तमिल संगमम् के माध्यम से किया यह प्रयास

बीएचयू के एंफीथिएटर मैदान में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि लंबे समय से देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ने काशी-तमिल संगमम् के माध्यम से सदियों बाद यह प्रयास किया है। यह प्रयास आजादी के तुरंत बाद होना चाहिए था, लेकिन वर्षों तक तक नहीं हुआ। देश की भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का उनका यह प्रयास सफल सिद्ध होगा। गुलामी के लंबे काल खंड में हमारी संस्कृति व विरासत को मलिन करने का प्रयास किया गया।

मोदी ने स्वतंत्रता के अमृतकाल में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काम किया

मोदी ने स्वतंत्रता के अमृतकाल में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काम किया है। उनकी कल्पना काशी-तमिल संगमम् की पूर्णाहुति होने जा रही है, मगर यह पूर्णाहुति नहीं प्रारंभ है। तमिलनाडु और काशी की महान संस्कृति, कला, दर्शन, ज्ञान के मिलन की शुरुआत है। तमिलनाडु से आए भाई-बहन काशी से गंगाजल ले जाकर रामेश्वरम में अभिषेक करें और जब आएं तो वहां की मिट्टी गंगा की रेत में मिलाएं। इस अवसर पर उन्होंने दो पुस्तकों मोदी @ 20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी और आंबेडकर एवं मोदी: सुधारक का विचार, परफार्मर का काम के तमिल अनुवाद का विमोचन भी किया।

ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने लिया भाग

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना को कायम रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवंबर 2022 को ‘काशी-तमिल संगमम्’ का शुभारंभ किया था। यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत की गई पहल है। शिक्षा के दो प्रमुख केंद्रों आइआइची मद्रास और बीएचयू ने मिलकर आयोजन की रूपरेखा तैयार की। शिक्षा मंत्रालय ने नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया। तमिलनाडु के शास्त्रीय व लोक कलाकारों, साहित्यकारों, उद्यमियों, किसानों, धर्मगुरुओं, खिलाड़ियों आदि के समूहों ने ‘काशी तमिल संगमम्’ में भाग लिया। इस प्रकार ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। तमिलनाडु से आए समूहों ने काशी के अलावा प्रयागराज और अयोध्या का भी भ्रमण किया। उत्तर और दक्षिण के लोगों के बीच शिक्षा, कला, साहित्य, संस्कृति, खेल के क्षेत्र के कार्यक्रमों के अलावा फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प आदि की प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया।

तमिल संगमम् के लिए काशी को चुनना उप्र के लिए बड़ी बात

सीएम योगी ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि काशी-तमिल संगमम् के लिए काशी को चुना जाना उप्र के लिए बड़ी बात है। इसने काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कर दिया। आयोजन में काशीवासियों ने जिस तरह सहभागिता की, वह प्रशंसनीय है। उप्र भारत की आध्यात्मिक-सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करता है तो तमिलनाडु भी कला, संस्कृति और ज्ञान की प्राचीनतम परंपराओं का नेतृत्वकर्ता है। तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक समूहों में आए लोगों ने सभ्यता एवं संस्कृति की दृष्टि से मोदी की परिकल्पना एक भारत-श्रेष्ठ भारत को देखा और आत्मसात किया।

दो प्राचीनतम सभ्यताओं को पास लाएगा संगमम्: प्रधान

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस आयोजन में दो लाख से अधिक लोग शामिल हुए। लाखों लोग डिजिटल माध्यम से जुड़े। यह संगमम् दो प्राचीनतम सभ्यताओं को करीब लाएगा और कला, संस्कृति के विकास में सहायक होगा। समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आर. नारायण रवि, पर्यटन, संस्कृति मंत्री गंगापुरम किशन रेड्डी, केंद्रीय मंत्री डा. लोगनाथन मुरुगन, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री, बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन, आइआइटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि भी उपस्थित थे।

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