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पशुधन प्रसार अधिकारी भर्ती घोटाले में तत्कालीन पशुधन मंत्री राज किशोर सिंह और प्रमुख सचिव योगेश कुमार के खिलाफ पुख्ता सुबूत मिले

सपा शासन में हुए पशुधन प्रसार अधिकारी भर्ती घोटाले में तत्कालीन पशुधन मंत्री राज किशोर सिंह और प्रमुख सचिव योगेश कुमार के खिलाफ पुख्ता सुबूत मिले हैं। पुलिस एसआईटी ने इन दोनों के अलावा दो अन्य अधिकारियों के खिलाफ शासन से अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। इस मामले में अब तक 22 अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की अनुमति दी जा चुकी है।

वर्ष 2013-14 में पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती में जमकर मनमानी हुई थी। इस प्रकरण में वर्ष 2018 में राज्य विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) ने जांच कर अपनी रिपोर्ट दी। इसके बाद एसआईटी ने फाइनल विवेचना रिपोर्ट वर्ष 2021 में दी। दोनों ही रिपोर्ट में कहा गया कि चयन में प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई गईं। गंभीर विचलन और अनियमितताएं मिलीं। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की संस्तुति की। साथ ही संबंधित दस्तावेजों की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं से कराई गई।

लैब की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन प्रमुख सचिव पशुधन विभाग योगेश कुमार, रायबरेली के फिरोज गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के तत्कालीन निदेशक राम प्रताप शर्मा व इसी संस्थान के तत्कालीन एडमिनिस्ट्रेटर मो. इसरत हुसैन और तत्कालीन मंत्री पशुधन विभाग राज किशोर सिंह के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी गई है। योगेश कुमार सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

23 अधिकारियों के विरुद्ध की थी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति

एसआईटी ने वर्ष 2018 में 23 अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की थी। इनमें से तत्कालीन निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. रुद्र प्रताप के खिलाफ पेंशन रोकने के दंड के साथ अनुशासनिक कार्यवाही समाप्त कर दी गई है। तत्कालीन अपर निदेशक डॉ. बृजेश कुमार वार्ष्णेय की मृत्यु होने से अनुशासनिक कार्यवाही समाप्त की गई। जबकि, 9 अन्य अधिकारियों के खिलाफ बिना दंड के अनुशासनिक कार्यवाही समाप्त की गई।

 

शेष 12 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की प्रक्रिया चल रही है। ये 12 अधिकारी हैं-तत्कालीन संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार त्रिपाठी, तत्कालीन अपर निदेशक कृष्ण प्रताप सिंह, डॉ. राम किशोर यादव, डॉ. कौशलेंद्र सिंह, डॉ. प्रकाश चंद्र, डॉ. रमेश चंद्र पांडेय, डॉ. अरमरेंद्र नाथ सिंह, डॉ. अभिनेश पाल सिंह व डॉ. गिरिजा नंदन सिंह (जीएन सिंह), अपर निदेशक बरेली डॉ. नरेंद्र प्रताप सिंह गहलौत, अपर निदेशक मुरादाबाद डॉ. सत्य प्रकाश सिंह यादव (एसपी यादव) और अपर निदेशक बांदा डॉ. चंद्र दत्त शर्मा।

22 अफसरों के खिलाफ शासन ने दी अभियोजन की स्वीकृति

27 फरवरी 2023 को शासन ने इन 22 अफसरों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी है-तत्कालीन निदेशक डॉ. रुद्र प्रताप सिंह, तत्कालीन संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार त्रिपाठी, तत्कालीन अपर निदेशक कृष्ण प्रताप सिंह, डॉ. चरन सिंह यादव, डॉ. कृपा शंकर सिंह, कृष्ण पाल सिंह, डॉ. राम किशोर यादव, डॉ. हरपाल सिंह, डॉ. शरद कुमार सिंह, डॉ. कौशलेंद्र सिंह, डॉ. प्रकाश चंद्र, डॉ. रमेश चंद्र पांडेय, अमरेंद्र नाथ सिंह, डॉ. गिरीश द्विवेदी, डॉ. अभिनेश पाल सिंह, डॉ. अनूप कुमार श्रीवास्तव, डॉ. रामपाल सिंह व डॉ. गिरजा नंदन सिंह और अपर निदेशक डॉ. अंगद उपाध्याय, डॉ. नरेंद्र प्रताप सिंह गहलौत (एनपीएस गहलौत), डॉ. सत्य प्रताप सिंह यादव (एसपी यादव) व डॉ. चंद्र दत्त शर्मा (सीडी शर्मा)।

क्या है मामला

उत्तर प्रदेश में 1148 पशुधन प्रसार अधिकारियों की भर्ती के लिए 100 की बजाय 80 नंबरों के लिए लिखित परीक्षा कराई गई। जबकि, 20 नंबर साक्षात्कार के लिए रखे गए। साक्षात्कार के इन्हीं नंबरों के जरिये चहेते अभ्यर्थियों को चुन लिया गया। इस भर्ती घोटाले की जांच योगी सरकार ने 28 दिसंबर 2017 को एसआईटी को सौंपी थी। 29 जुलाई 2021 को इस मामले में 28 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

रद्द हो सकती हैं भर्तियां

अपर मुख्य सचिव पशुधन डॉ. रजनीश दुबे की ओर से हाईकोर्ट, इलाहाबाद में दिए गए शपथपत्र में कहा गया है कि चयनित अभ्यर्थियों की 469 ओएमआर शीट व चयनित न हो पाने वाले 223 अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट, कम्प्युटर और संबंधित हार्ड डिस्क जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैब को भेजी गई है। लैब की रिपोर्ट का अभी इंतजार है। शपथ पत्र में यह भी कहा है कि संबंधित भर्तियों का रिजल्ट रद्द करने या कोई और एक्शन लेने का निर्णय अभी विचाराधीन हैं।

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